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Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri Dun...

Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri Dun... : Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri Dun... : Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri Dun... : ... चाँद उदास चाँदनी नही पास चेहरे पर काले धब्बे जीर्ण क्षीण  काया बदन  प्रतिदिन घटता आकार जो रक्त लावण्य से गोल पहिले होता था वियोग में  घुटता रहता अर्ध से बिलकुल नदारद शायद रोता होगा प्रेमी चाँद वियोग में लिख रोज गजल या फिर करूण क्रन्दन करता सरगम स्वरों पर थिरकता या फिरते फिरते ढूढता होगा चाँदनी या फिर मजनूँ सा  टेरता होगा या फिराक में होगा  बैठा पटरी किनारे जहाँ निकलती अनगिनत ट्रेन चाँद का विलय बादलों में शायद चाँदनी की चाह में

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Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri Dun... : Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri Dun... : Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri Dun... : ... पानी पूरी वाला शहर के मुख्य चौराहे पर ठीक फुटपाथ पर ले ढकेल वह रोज खड़ा होता था लोगो को अपनी बारी का इन्तजार रहता जब कभी गुजरना होता घर से बाहर मैं भी नहीं भूलती खाना पानी पूरी बस पानी पूरी खाते खाते आत्मीयता सी हो गई थी मुझे जब कभी मेरा जाना होता तो वह भी कहने से ना चूकता था आज बहुत दिन बाद----- वक्त बीतता गया जीवन का क्रम चलता रहा अनायास एक दिन वह फेक्चर का शिकार हो गया तदन्तर अस्पताल में सुविधाएं भी पैसे वालों के लिए होती है --------- पर वो बेचारा जैसे तैसे ठीक हुआ बीमारी ने आ घेरा एक दिन बस शून्य में देखते ही देखते काल कवलित हो गया फिर बस केवल संवेदनाएं ही संवेदना      बस स़बेदना बची सबकी जीवन का करूणांत तदन्तर आत्मनिर्भर परिवारिक जनों की दो रोज की रोटी ने एक गहरी चिंतन रेखा खींच दी पर मैं और मेरी आत्मीयता बाकी है आज भी

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Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri Dun... : Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri Dun... : Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri Dun... : ... रूह एक दिन बदन से निकल जायेगी बस यूँ ही तकदीर  सभल जायेगी किरण आसमा बन लपट जलं जायेगी नीचे वालों की क्यूं  याद कल जायेगी नदियाँ बह चट्टान में बदल जायेगी हिमालय की गोद फिर  छल जायेगी जेहन मे छुपी चाह यूँ ही टल जायेगी जब तेरी पोल फिर से  खुल जायेगी खामोशियाँ कुछ कह उछल जायेगी हिचकियाँ  जब तलक मचल जायेगी एक दिन खुदा की खुदाई चल जायेगी जब वह तुझे फिर से मिल जायेगी यूँ आस फिर मिलन की मधु पल जायेगी जब हवा जमाने की फिर बहल जायेगी

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Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri Dun... : Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri Dun... : Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri Dun... : ... रूह एक दिन बदन से निकल जायेगी बस यूँ ही तकदीर  सभल जायेगी किरण आसमा बन लपट जलं जायेगी नीचे वालों की क्यूं  याद कल जायेगी नदियाँ बह चट्टान में बदल जायेगी हिमालय की गोद फिर  छल जायेगी जेहन मे छुपी चाह यूँ ही टल जायेगी जब तेरी पोल फिर से  खुल जायेगी खामोशियाँ कुछ कह उछल जायेगी हिचकियाँ  जब तलक मचल जायेगी एक दिन खुदा की खुदाई चल जायेगी जब वह तुझे फिर से मिल जायेगी यूँ आस फिर मिलन की मधु पल जायेगी जब हवा जमाने की फिर बहल जायेगी

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Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: जन्म उत्सव के दिन एक एक करके मैं सजा...

Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: जन्म उत्सव के दिन एक एक करके मैं सजा... : Meri DuniyaN: इंसानियत सरेआम नीलाम होती वो दुकान शायद मुझमें  ही है साँझ पक्षी वापस घर लौटते है वो घोसला शायद मुझमें ही है सावन के मास सूने सूने से होते वो झूले शायद मुझमे ही  है हर कदम पर कमीनापन दिखता वो इन्साफ शायद  मुझमे ही है राजनीति गलियारा गन्दा दिखता वो सफेदा शायद मझमें ही है

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Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri Dun... : Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: जन्म उत्... : Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: जन्म उत्सव के दिन एक ए... : ... नारी मनोविज्ञान  नारी मनोविज्ञान बड़ा ही गूढ विषय है रहस्यमय विज्ञान है कल्पनातीत अवर्णिय संकल्पना कवियों की कम्पना से परे मन की गहराईयों से परे  कुछ अप्रतिम अनुपम नारी श्रद्धा और अश्रद्धा नारी मृदु मधुर छुअन परत दर परत चढी कोमलता की साकार मूर्ति सागर की गहराई को छूने वाली नारी मनोविज्ञान का चीर हरण कलंक का टीका धारण करने वाले ममता ममत्व को ढूढा होता अपने में इन्सान इन्साफ पाया होता धरती की एक माँ नारी जब भूख प्यास से रोती है जब किसी निर्लज्ज की होती शिकार तो कायरों को गटर में डूबोती है भारत माँ के नाम से जाना जाने वाला कैसे बुलन्दी को छुएगा जब तक उससे जन्मा पुरुष माँ की मानसिकता को समझे पिला अमृत धार जब नारी की छाती सूख जाती पुरुष खोता सुधबुध अलसाई सी छा जाती कल्पनाओं के संसार की नारी अब भू पर नजर नही आती त्याग बलिदान की वह प्रतिमा खो

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Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: जन्म उत्... : Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: जन्म उत्सव के दिन एक ए... : Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: जन्म उत्सव के दिन एक एक करके मैं सजा... : .. . हाइकू प्रात पवन शीतल मंद मंद घण्टों की टन मेघा गरजे घर घर दमक चमके दंत मंदिर घट में भगवान बसे सपने सजे भज ले अब प्रभु का शुभ नाम लग ले अंग छोड़ दे मोह साथ गोपाल कर तीरथ धाम आई जो धूप भूला प्रभु का नाम करवे को काम शाम को देख खडा बुढ़ापा टेक रटने राम अटल सच काल का आगमन मान ले सच रैन हो चली प्रभु के पास चली नयी ओर चली डाँ मधु पाराशर शान्ति निकेतन कालेज प्राचार्या आगरा

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Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: जन्म उत्सव के दिन एक ए... : Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: जन्म उत्सव के दिन एक एक करके मैं सजा... : Meri DuniyaN: जन्म उत्सव के दिन एक एक करके मैं सजा रही वो गुलाबी ... माँ माँ गर्भ में अपना खूनपिलाती गोद में अपना दूध पिलाती छोटे बालक से युवक बनाती नित ममता का सागर बहाती पेट स्तन में लात घूसे मारता फिर भी अमृत दूध पिलाती फिर भी दुलार स्नेह लहराता सुला सूखे में गीले मे सो जाती नित नेह का बादल बरसाती माँ अटूट अवर्णीय बंधन है ओर छोर का विस्तृत क्षितिज है मेरी प्रगति में ही सुख पाती है नित प्यार आशीर्वाद लुटाती है पापा की मार डाट से बचाती माँ मेरी ढाल बन मुझे गले लगाती मेरे जीवन कुंड की माँ वह आहुति बार बार जल स्वर्ण सा निखारती डाँ मधु पाराशर शान्ति निकेतन कालेज प्रचार्य आगरा

Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: जन्म उत्सव के दिन एक एक करके मैं सजा...

Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: जन्म उत्सव के दिन एक एक करके मैं सजा... : Meri DuniyaN: जन्म उत्सव के दिन एक एक करके मैं सजा रही वो गुलाबी से फूल जो कभी याद करो तुमने केवल तुमने मुझे दिए अपने हाथों से वो स्पर्श आज भी जिन्दा है मेरे बीमार पड़ने पर और वो चाय जो मेरी फिक्र में चौथाई कप रह गई मिल साथ पी वो स्वाद आज भी जिव्हा पर है अब सूर्ख लाल गुलाब डाल से पतित नही चाहिए क्योंकि मेरा वो गुलाबी गुलाब आज भी सभाँल रखा है अपने हृदय जो आज भी मुझे अपना बनाए है रखे सुगन्धित

Meri DuniyaN: जन्म उत्सव के दिन एक एक करके मैं सजा रही वो गुलाबी से फूल जो कभी याद करो तुमने केवल तुमने मुझे दिए अपने हाथों से वो स्पर्श आज भी जिन्दा है मेरे बीमार पड़ने पर और वो चाय जो मेरी फिक्र में चौथाई कप रह गई मिल साथ पी वो स्वाद आज भी जिव्हा पर है अब सूर्ख लाल गुलाब डाल से पतित नही चाहिए क्योंकि मेरा वो गुलाबी गुलाब आज भी सभाँल रखा है अपने हृदय जो आज भी मुझे अपना बनाए है रखे सुगन्धित

Meri DuniyaN:

Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: जय माता दी

Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: जय माता दी : Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: जय माता दी : Meri DuniyaN: जय माता दी : !!! जय माता दी !!!
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Meri DuniyaN: तुम कोन हो ?क्या लिखूँ ना लिखूँमन कुछ कह जाता ह...

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Meri DuniyaN: तुम कोन हो ? क्या लिखूँ ना लिखूँ मन कुछ कह जाता ह... : तुम कोन हो ? क्या लिखूँ ना लिखूँ मन कुछ कह जाता है हाल पूछूँ चाल पूछूँ कैसे बात शुरू करूँ बोलो तुम कोन हो ? लिखने तो बहुत है भावों...
तुम कोन हो ? क्या लिखूँ ना लिखूँ मन कुछ कह जाता है हाल पूछूँ चाल पूछूँ कैसे बात शुरू करूँ बोलो तुम कोन हो ? लिखने तो बहुत है भावों में तो तुम हो साँसों की सरगम तुम विचार बन जाते तुम बोलो तुम कोन ? शब्द भी मौन है गान भी  सिसकता वाणी में है विश्राम और लेखनी बताओ बोलो तुम कोन हो ?
धरती धरती खोजूँ मंदिर मंदिर खोजूँ खोजा मैने सब ओर मिला ना कोई राम खोजू मैं गंगासागर खोजूँ मैं काशी दरवार खोजा मैंने इसओर जाऊ ना कोऊ धाम श्याम रंग मे रांगी ऱगी रंग मे जोगिन खोजा मैने चहुँ ओर पाऊ ना कोऊ दाम खोजूँ मै कावा कैलाश खोज करू  हरि द्वार खोजा मैने मन मोर जापूँ मैं हर शाम

Meri DuniyaN: नया साल - http://www.swargvibha.in/kavita/all_kavi...

Meri DuniyaN: नया साल - http://www.swargvibha.in/kavita/all_kavi... : नया साल - http://www.swargvibha.in/kavita/all_kavita/nayasaal_mp.html मैं याद हूँ  मत सताओ मुझको सकून से  मुस्कराने दो कल हो या न हो आज तो कहने दो मत सोचो सफर की खुद ब खुद बुलाये जाओगे मत करो प्रतीक्षा वक्त की बेवक्त बुला लिए जाओगे  दुनियां मेला है चार दिन का तमाशबीन बहुत है पंथ बहुत लम्बा है ककड़ पत्थर भी बहुत है आवागमन रहेगा संसार में जब तक तू भोगी है छोड माया  काया को प्रभु प्रिय तू सदा रहेगा याद प्रिय की लुभायेगी जब तक बन्धन प्रगाढ रहेगा इच्छा अतृप्त रहेगी जब तक तू तृप्त ना रहेगा संसार मृगमरीचिका है आसक्त तू माया जाल में अन्त समय मत जलाये लाषाओं के ज्वाल को
नया साल - http://www.swargvibha.in/kavita/all_kavita/nayasaal_mp.html
तुझ में मैं तू और मै, या तुझ में मैं। कुछ भूला सा, तुझ मे मैं। शब्दों की परछाई , चपला सी चतुराई। कलम की कैची सी, धार पैनी अति तीखी। तू कुछ रहस्यमय गूढ, भावों का ना पार कोई। अखिल अविराम सी भंगिमा, निजता की अटल सी गरिमा। अब सुन प्यारे मेरे दुलारे, मैं कोन? तेरे लेखन की प्रेरणा मैं, अनछुई सी कसक मै। तेरे लबों की आकुलता, मत सोच त्याग व्याकुलता। अब सुन मेरे हृदय अंगारे, मैं सुध। तु प्यास मैं तेरी तृप्ति । तु रात मैं तेरी चित्त धरन, कुछ खोयी सी मृदु मुस्कराहट। पीने को तु आतुर प्रेम प्याला, मधु की मधुता से सिक्त तू।
तुम खास हो तुम मेरी मधु वीणा के तार हो मेरे मधु हाथों का स्पर्श तुम जो भी हो दुनिया की नज़र मे मेरे लिए खास बस खास हो एक आम इंसान नही हो मेरे लिए खास ------------- पर मेरी नज़र मे जो तुम हो तुम सीप में  समाए मोती हो तुम शान्त लहरों की शरारत हो तुम ठंडी धूप की हरारत हो मधुर यामिनी की आदत हो मेरे लिए खास------------ तुम ग़मों की गरमी ठण्डक खुशियों का एहसास हो तुम धडकनों की आवाज़ हो साँसों का सुखद साज हो सूरज की गर्मी में तरू छाँव हो मेरे लिए खास------------- सदा हो मेरे प्यार की तुम तुम ही हमसफ़र मात्र हो तुम मंजिल हो ज़िन्दगी की ख़ुद को कभी ना देखना दुनियाँ की नजर से कभी मेरे लिए खास------------ क्यूँ कि तुम ख़ास है मेरे बुझे हुए दिल की आस है मेरे लिए मधुर अहसास तुम  जो भी बहुत ख़ास हो मेरे लिए खास-------------- 

Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: जय माता दी

Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: जय माता दी : Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: जय माता दी : Meri DuniyaN: जय माता दी : !!! जय माता दी !!! तुम खास हो तुम मेरी मधु वीणा के तार हो मेरे मधु हाथों का स्पर्श तुम जो भी हो दुनिया की नज़र मे मेरे लिए खास बस खास हो एक आम इंसान नही हो मेरे लिए खास ------------- पर मेरी नज़र मे जो तुम हो तुम सीप में  समाए मोती हो तुम शान्त लहरों की शरारत हो तुम ठंडी धूप की हरारत हो मधुर यामिनी की आदत हो मेरे लिए खास------------ तुम ग़मों की गरमी ठण्डक खुशियों का एहसास हो तुम धडकनों की आवाज़ हो साँसों का सुखद साज हो सूरज की गर्मी में तरू छाँव हो मेरे लिए खास------------- सदा हो मेरे प्यार की तुम तुम ही हमसफ़र मात्र हो तुम मंजिल हो ज़िन्दगी की ख़ुद को कभी ना देखना दुनियाँ की नजर से कभी मेरे लिए खास------------ क्यूँ कि तुम ख़ास है मेरे बुझे हुए दिल की आस है मेरे लिए मधुर अहसास तुम  जो भी बहुत ख़ास हो मेरे लिए खास-------------- 
कलैण्डर वाह तेरी तकदीर ********************* क से शुरू तू कलंक सी कालिमा दागी काया जनवरी से अनेक बार दगे दिसंबर तक यूँ देह में  दाग अनगिनत तेरे थूँक स्याही जो मन आये लिख दूँ तुझ पर तू शान्त है मौन भाव से देखता सबकुछ टँगा बैठक हर तारीख हर महीने तुम खीचते ध्यान किसी तारीख कलंक छाया कर मुसकराते कल अाखिरी दिन इक्कतीस कूड़ेदान में कलेण्डर तू सबका विधाता है हमेशा टँगा

Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: जय माता दी

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आसूँ

Smndr falls in tears,  Becomes a pearl mill, A sigh escapes,  Burn becomes Shola. Preeti such a manner, Nobody gets buried.  No wins Breathes no tears. P has no tears. Shama jealous' Account of the licenses.  You laugh at the days to account, Moment to moment changes tell thee. If you have not, If your Sununhin I,  What is my sin. The fragrance in Gulshan, What are your own account.
आँसू गिरता है समनदर में,  मिल मोती बन जाता है, एक आह निकलती है,  जलकर शोला बन जाती है। प्रीती की रीति है ऐसी, कोई दफन हो जाता है।  तो कोई  जीत जाता है, तो कोई आँसू बहाता है। कोई आँसू पी जाता है। शमा जलती हैं', तो परवाने की  खता।  तू हँसा तो जमाने को खता है, पल पल में बदलता है तेरा बयां। तू अगर पास नही, मै अगर तेरी सुनूनहीं,  तो मेरी क्या खता है। इस गुलशन में खुशबू नहीं, तो तेरी  ही क्या खता।

Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: जय माता ...

Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: जय माता ... : Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: जय माता दी : Meri DuniyaN: Meri DuniyaN: जय माता दी : Meri DuniyaN: जय माता दी : !!! जय माता दी !!...